• जब प्लेस्टेशन स्टूडियोज के बॉस हरमन हल्स्ट ने कहा कि "माराथन" कोंकॉर्ड की गलतियों को नहीं दोहराएगा, तो हमें एक पल के लिए सोचना पड़ा। क्या यह सच में एक आत्मविश्वास है या फिर एक और मिस्टर ग्रीन लाइट का शो है?

    "लीव सर्विस टाइटल्स" को "ग्रेट ऑपर्च्युनिटी" मानना, जैसे कि कोई कच्चे अंडों को एक साथ डालकर उम्मीद करे कि एक दिन वे ऑमलेट बन जाएंगे। अगर पिछले कुछ सालों में किसी चीज़ ने हमें सिखाया है, तो वो ये है कि प्लेयर की खुशी हमेशा से दूसरे नंबर पर रही है।

    क्या आपको याद है कोंकॉर्ड? उस प्रोजेक्ट ने हमें यह सिखाया कि "ग्रेट ऑपर्च्युनिटी" कैसे "ग्रेट डिझास्टर्स" में बदल सकती है। यह एक ऐसा खेल था, जिसमें बड़े-बड़े वादे थे, लेकिन जब खिलाड़ी पहुंचे, तो उन्हें केवल टुकड़े-टुकड़े में ही अनुभव मिला। अब हल्स्ट का कहना है कि "हमने सीखा है"। क्या यह वाकई विश्वास की बात है या फिर यह बस एक सॉफ्टवेयर अपडेट की तरह है, जो हमें हर बार नया करने का आश्वासन देता है?

    और अब "माराथन" की बारी आ गई है। क्या हम सच में विश्वास कर सकते हैं कि यह खेल कोंकॉर्ड की गलतियों को नहीं दोहराएगा? यह तो जैसे किसी फिल्म के सीक्वल में बताने की कोशिश करना कि यह पहली फिल्म से बेहतर होगा, जबकि सभी जानते हैं कि यह बस एक और पैसे बनाने की कोशिश है।

    आखिरकार, क्या हम अपने दिल की बात कह सकते हैं? जब गेमिंग इंडस्ट्री के दिग्गज इस तरह के "ग्रेट ऑपर्च्युनिटी" की बात करते हैं, तो यह बस एक दूसरे को आश्वस्त करने का तरीका है कि सब कुछ ठीक है। जैसे कि जब किसी को पता होता है कि उसके पास बुरी आदतें हैं, लेकिन वो फिर भी कहता है, "मैंने सुधार किया है!"

    आशा है "माराथन" हमें एक नया अनुभव दे सकेगा, लेकिन क्या हम सच में इसके लिए तैयार हैं? या फिर हम एक और कोंकॉर्ड के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रहे हैं?

    #PlayStation #Marathon #Concord #GamingSatire #LiveServiceGames
    जब प्लेस्टेशन स्टूडियोज के बॉस हरमन हल्स्ट ने कहा कि "माराथन" कोंकॉर्ड की गलतियों को नहीं दोहराएगा, तो हमें एक पल के लिए सोचना पड़ा। क्या यह सच में एक आत्मविश्वास है या फिर एक और मिस्टर ग्रीन लाइट का शो है? "लीव सर्विस टाइटल्स" को "ग्रेट ऑपर्च्युनिटी" मानना, जैसे कि कोई कच्चे अंडों को एक साथ डालकर उम्मीद करे कि एक दिन वे ऑमलेट बन जाएंगे। अगर पिछले कुछ सालों में किसी चीज़ ने हमें सिखाया है, तो वो ये है कि प्लेयर की खुशी हमेशा से दूसरे नंबर पर रही है। क्या आपको याद है कोंकॉर्ड? उस प्रोजेक्ट ने हमें यह सिखाया कि "ग्रेट ऑपर्च्युनिटी" कैसे "ग्रेट डिझास्टर्स" में बदल सकती है। यह एक ऐसा खेल था, जिसमें बड़े-बड़े वादे थे, लेकिन जब खिलाड़ी पहुंचे, तो उन्हें केवल टुकड़े-टुकड़े में ही अनुभव मिला। अब हल्स्ट का कहना है कि "हमने सीखा है"। क्या यह वाकई विश्वास की बात है या फिर यह बस एक सॉफ्टवेयर अपडेट की तरह है, जो हमें हर बार नया करने का आश्वासन देता है? और अब "माराथन" की बारी आ गई है। क्या हम सच में विश्वास कर सकते हैं कि यह खेल कोंकॉर्ड की गलतियों को नहीं दोहराएगा? यह तो जैसे किसी फिल्म के सीक्वल में बताने की कोशिश करना कि यह पहली फिल्म से बेहतर होगा, जबकि सभी जानते हैं कि यह बस एक और पैसे बनाने की कोशिश है। आखिरकार, क्या हम अपने दिल की बात कह सकते हैं? जब गेमिंग इंडस्ट्री के दिग्गज इस तरह के "ग्रेट ऑपर्च्युनिटी" की बात करते हैं, तो यह बस एक दूसरे को आश्वस्त करने का तरीका है कि सब कुछ ठीक है। जैसे कि जब किसी को पता होता है कि उसके पास बुरी आदतें हैं, लेकिन वो फिर भी कहता है, "मैंने सुधार किया है!" आशा है "माराथन" हमें एक नया अनुभव दे सकेगा, लेकिन क्या हम सच में इसके लिए तैयार हैं? या फिर हम एक और कोंकॉर्ड के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रहे हैं? #PlayStation #Marathon #Concord #GamingSatire #LiveServiceGames
    PlayStation Studios boss confident Marathon won't repeat the mistakes of Concord
    During a recent fireside chat, Hermen Hulst said live service titles remain a 'great opportunity' for PlayStation.
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