आजकल समाज में दो बातें बेहद चिंताजनक हो गई हैं: एक तो बच्चों के खान-पान का हाल, और दूसरी, उन पर थोपे जा रहे विज्ञापन के झूठे सपने। और हां, मैं बात कर रहा हूँ "कार्टे पोकेमॉन मैकडो" की। यह सच में बहुत ही शर्मनाक है कि एक फास्ट फूड चेन, जो पहले से ही बच्चों को जंक फूड से भर रही है, अब उनके छोटे से दिलों में पोकेमॉन जैसे बेकार के सामान के जरिए लालच दे रही है। यह असल में एक विपरीत प्रभाव डालने वाला कदम है जो कि बच्चों की सेहत और मानसिकता दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है।
क्या यह सही है कि बच्चों को मैकडो के "हैप्पी मील" में एक छोटा सा पैकेट मिल रहा है, जिसमें संभावित रूप से कोई "विराट मूल्य" छिपा हो सकता है? यह सब एक बड़ा धोखा है! बच्चों को यह समझाने के बजाय कि वे असली खेल और दोस्ती के लिए बाहर खेलें, उन्हें इस तरह के फर्जी सामान में उलझा दिया गया है। क्या हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हम अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं? क्या हम उन्हें केवल "सत्य" के झूठे सपने दिखा रहे हैं?
बात सिर्फ पोकेमॉन की नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा सवाल है: क्या हम अपनी अगली पीढ़ी को एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने की सलाह दे रहे हैं या उन्हें एक ऐसी दुनिया में धकेल रहे हैं जहां वे केवल उपभोक्तावाद के भंवर में फंसते जाएं? इस तरह की पहलें बच्चों को यह सिखा रही हैं कि खुशी केवल उपहारों और वस्तुओं में है, जबकि असली खुशी तो सच्चे संबंधों और अनुभवों में होती है।
इससे भी बुरी बात यह है कि यह सब केवल पैसे कमाने के लिए किया जा रहा है। क्या हमें यह नहीं समझना चाहिए कि हमें अपने बच्चों की भलाई के लिए जिम्मेदार होना चाहिए? यह केवल एक जंक फूड चेन का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के मूल्यों का मामला है। जब हम अपने बच्चों को इस तरह के संदिग्ध उपहारों में उलझाते हैं, तो हम उन्हें यह सिखा रहे हैं कि खुश रहने के लिए उन्हें हमेशा कुछ खरीदना होगा।
आखिरकार, हमें इस पर ध्यान देना होगा कि हम अपने बच्चों को क्या सिखा रहे हैं। क्या हम अपने बच्चों को सच्चाई और मूल्य सिखा रहे हैं, या हम उन्हें केवल उपभोक्तावाद की ओर धकेल रहे हैं? यह एक गंभीर मुद्दा है, और हमें इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी।
#कार्टे_पोकेमॉन #मैकडो #बच्चों_की_सेहत #उपभोक्तावाद #सामाजिक_जिम्मेदारी
क्या यह सही है कि बच्चों को मैकडो के "हैप्पी मील" में एक छोटा सा पैकेट मिल रहा है, जिसमें संभावित रूप से कोई "विराट मूल्य" छिपा हो सकता है? यह सब एक बड़ा धोखा है! बच्चों को यह समझाने के बजाय कि वे असली खेल और दोस्ती के लिए बाहर खेलें, उन्हें इस तरह के फर्जी सामान में उलझा दिया गया है। क्या हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हम अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं? क्या हम उन्हें केवल "सत्य" के झूठे सपने दिखा रहे हैं?
बात सिर्फ पोकेमॉन की नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा सवाल है: क्या हम अपनी अगली पीढ़ी को एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने की सलाह दे रहे हैं या उन्हें एक ऐसी दुनिया में धकेल रहे हैं जहां वे केवल उपभोक्तावाद के भंवर में फंसते जाएं? इस तरह की पहलें बच्चों को यह सिखा रही हैं कि खुशी केवल उपहारों और वस्तुओं में है, जबकि असली खुशी तो सच्चे संबंधों और अनुभवों में होती है।
इससे भी बुरी बात यह है कि यह सब केवल पैसे कमाने के लिए किया जा रहा है। क्या हमें यह नहीं समझना चाहिए कि हमें अपने बच्चों की भलाई के लिए जिम्मेदार होना चाहिए? यह केवल एक जंक फूड चेन का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के मूल्यों का मामला है। जब हम अपने बच्चों को इस तरह के संदिग्ध उपहारों में उलझाते हैं, तो हम उन्हें यह सिखा रहे हैं कि खुश रहने के लिए उन्हें हमेशा कुछ खरीदना होगा।
आखिरकार, हमें इस पर ध्यान देना होगा कि हम अपने बच्चों को क्या सिखा रहे हैं। क्या हम अपने बच्चों को सच्चाई और मूल्य सिखा रहे हैं, या हम उन्हें केवल उपभोक्तावाद की ओर धकेल रहे हैं? यह एक गंभीर मुद्दा है, और हमें इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी।
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आजकल समाज में दो बातें बेहद चिंताजनक हो गई हैं: एक तो बच्चों के खान-पान का हाल, और दूसरी, उन पर थोपे जा रहे विज्ञापन के झूठे सपने। और हां, मैं बात कर रहा हूँ "कार्टे पोकेमॉन मैकडो" की। यह सच में बहुत ही शर्मनाक है कि एक फास्ट फूड चेन, जो पहले से ही बच्चों को जंक फूड से भर रही है, अब उनके छोटे से दिलों में पोकेमॉन जैसे बेकार के सामान के जरिए लालच दे रही है। यह असल में एक विपरीत प्रभाव डालने वाला कदम है जो कि बच्चों की सेहत और मानसिकता दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है।
क्या यह सही है कि बच्चों को मैकडो के "हैप्पी मील" में एक छोटा सा पैकेट मिल रहा है, जिसमें संभावित रूप से कोई "विराट मूल्य" छिपा हो सकता है? यह सब एक बड़ा धोखा है! बच्चों को यह समझाने के बजाय कि वे असली खेल और दोस्ती के लिए बाहर खेलें, उन्हें इस तरह के फर्जी सामान में उलझा दिया गया है। क्या हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हम अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं? क्या हम उन्हें केवल "सत्य" के झूठे सपने दिखा रहे हैं?
बात सिर्फ पोकेमॉन की नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा सवाल है: क्या हम अपनी अगली पीढ़ी को एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने की सलाह दे रहे हैं या उन्हें एक ऐसी दुनिया में धकेल रहे हैं जहां वे केवल उपभोक्तावाद के भंवर में फंसते जाएं? इस तरह की पहलें बच्चों को यह सिखा रही हैं कि खुशी केवल उपहारों और वस्तुओं में है, जबकि असली खुशी तो सच्चे संबंधों और अनुभवों में होती है।
इससे भी बुरी बात यह है कि यह सब केवल पैसे कमाने के लिए किया जा रहा है। क्या हमें यह नहीं समझना चाहिए कि हमें अपने बच्चों की भलाई के लिए जिम्मेदार होना चाहिए? यह केवल एक जंक फूड चेन का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के मूल्यों का मामला है। जब हम अपने बच्चों को इस तरह के संदिग्ध उपहारों में उलझाते हैं, तो हम उन्हें यह सिखा रहे हैं कि खुश रहने के लिए उन्हें हमेशा कुछ खरीदना होगा।
आखिरकार, हमें इस पर ध्यान देना होगा कि हम अपने बच्चों को क्या सिखा रहे हैं। क्या हम अपने बच्चों को सच्चाई और मूल्य सिखा रहे हैं, या हम उन्हें केवल उपभोक्तावाद की ओर धकेल रहे हैं? यह एक गंभीर मुद्दा है, और हमें इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी।
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