ऐप्पल की एआई महत्वाकांक्षाएँ अब कुछ सवाल खड़े कर रही हैं, खासकर जब बात जलवायु लक्ष्यों की आती है। 2030 तक शुद्ध-शून्य लक्ष्य के आधे रास्ते पर पहुँचते हुए, कंपनी को अपने धीमे और कुछ आपूर्तिकर्ताओं के द्वारा समर्थन नहीं मिलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही, टैरिफ की उलझनें और एआई की दौड़, जो कि पर्यावरण के अनुकूल महत्वाकांक्षाओं पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं, इन्हें भी ध्यान में रखना होगा।
सच कहूँ तो, यह सब थोड़ा बोरिंग लग रहा है। हर दिन कुछ नई रिपोर्टें आती हैं, और हर बार लगता है कि एप्पल को अपने वादों के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। हर बार कुछ नया सुनने को मिलता है, लेकिन क्या यह सब कागज पर ही रह जाएगा? एप्पल की जटिलताओं से भरे इस सफर में, कहीं न कहीं यह सब कुछ अधूरा सा लगता है।
कंपनी ने 2030 तक शुद्ध-शून्य बनने का लक्ष्य रखा है, लेकिन यह लक्ष्य केवल एक घोषणा तक ही सीमित है या वास्तव में इसे हासिल किया जा सकेगा? क्या एआई की तेजी से बढ़ती दुनिया में ये जलवायु लक्ष्य केवल एक सपने की तरह रह जाएंगे? हम देख रहे हैं कि आपूर्तिकर्ता भी उतने सहयोगी नहीं हैं, और ये टैरिफ की जटिलताएँ भी एक बड़ी बाधा बन सकती हैं।
अंत में, एप्पल को अपने एआई महत्वाकांक्षाओं के साथ-साथ अपने पर्यावरण के लक्ष्यों पर भी ध्यान देना होगा। क्या यह सब कुछ सच में हो पाएगा? ये सवाल हैं जो अनुत्तरित रह जाते हैं।
#ऐप्पल #जलवायु #एआई #महत्वाकांक्षाएँ #शुद्धशून्य
सच कहूँ तो, यह सब थोड़ा बोरिंग लग रहा है। हर दिन कुछ नई रिपोर्टें आती हैं, और हर बार लगता है कि एप्पल को अपने वादों के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। हर बार कुछ नया सुनने को मिलता है, लेकिन क्या यह सब कागज पर ही रह जाएगा? एप्पल की जटिलताओं से भरे इस सफर में, कहीं न कहीं यह सब कुछ अधूरा सा लगता है।
कंपनी ने 2030 तक शुद्ध-शून्य बनने का लक्ष्य रखा है, लेकिन यह लक्ष्य केवल एक घोषणा तक ही सीमित है या वास्तव में इसे हासिल किया जा सकेगा? क्या एआई की तेजी से बढ़ती दुनिया में ये जलवायु लक्ष्य केवल एक सपने की तरह रह जाएंगे? हम देख रहे हैं कि आपूर्तिकर्ता भी उतने सहयोगी नहीं हैं, और ये टैरिफ की जटिलताएँ भी एक बड़ी बाधा बन सकती हैं।
अंत में, एप्पल को अपने एआई महत्वाकांक्षाओं के साथ-साथ अपने पर्यावरण के लक्ष्यों पर भी ध्यान देना होगा। क्या यह सब कुछ सच में हो पाएगा? ये सवाल हैं जो अनुत्तरित रह जाते हैं।
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ऐप्पल की एआई महत्वाकांक्षाएँ अब कुछ सवाल खड़े कर रही हैं, खासकर जब बात जलवायु लक्ष्यों की आती है। 2030 तक शुद्ध-शून्य लक्ष्य के आधे रास्ते पर पहुँचते हुए, कंपनी को अपने धीमे और कुछ आपूर्तिकर्ताओं के द्वारा समर्थन नहीं मिलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही, टैरिफ की उलझनें और एआई की दौड़, जो कि पर्यावरण के अनुकूल महत्वाकांक्षाओं पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं, इन्हें भी ध्यान में रखना होगा।
सच कहूँ तो, यह सब थोड़ा बोरिंग लग रहा है। हर दिन कुछ नई रिपोर्टें आती हैं, और हर बार लगता है कि एप्पल को अपने वादों के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। हर बार कुछ नया सुनने को मिलता है, लेकिन क्या यह सब कागज पर ही रह जाएगा? एप्पल की जटिलताओं से भरे इस सफर में, कहीं न कहीं यह सब कुछ अधूरा सा लगता है।
कंपनी ने 2030 तक शुद्ध-शून्य बनने का लक्ष्य रखा है, लेकिन यह लक्ष्य केवल एक घोषणा तक ही सीमित है या वास्तव में इसे हासिल किया जा सकेगा? क्या एआई की तेजी से बढ़ती दुनिया में ये जलवायु लक्ष्य केवल एक सपने की तरह रह जाएंगे? हम देख रहे हैं कि आपूर्तिकर्ता भी उतने सहयोगी नहीं हैं, और ये टैरिफ की जटिलताएँ भी एक बड़ी बाधा बन सकती हैं।
अंत में, एप्पल को अपने एआई महत्वाकांक्षाओं के साथ-साथ अपने पर्यावरण के लक्ष्यों पर भी ध्यान देना होगा। क्या यह सब कुछ सच में हो पाएगा? ये सवाल हैं जो अनुत्तरित रह जाते हैं।
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