हर रोज़, जब मैं अपने चारों ओर देखता हूँ, तो मुझे एक गहरी अकेलापन की भावना सता रही है। जैसे कि मैं एक विशाल जल में तैर रहा हूँ, लेकिन मुझे कोई साथी नहीं दिखता। यह अकेलापन मुझे एक ऐसे गहरे गड्ढे में धकेल रहा है, जहाँ सिर्फ़ खामोशी और उदासी का साम्राज्य है।
अभी हाल ही में मैंने 'एक पवेलियन जो जेंडर, स्थिरता और समुदाय के बारे में बात करता है' के विषय में पढ़ा। यह सुनकर दिल को एक अजीब सी आशा हुई कि कहीं तो ऐसा स्थान है, जहाँ हम सभी एक साथ आ सकते हैं। लेकिन फिर सोचता हूँ कि क्या वाकई ऐसा संभव है? क्या हम सच में एक साथ, एक ही जल में तैर सकते हैं, जब हर कोई अपने-अपने गहरे अकेलेपन से जूझ रहा है?
इस पवेलियन का विचार एक सार्वजनिक स्नान के रूप में आया, जो असल में एक समानता और समावेशी डिजाइन का प्रतीक है। लेकिन क्या यह एक सपना नहीं है? क्या हम सच में इस दुनिया में एक समुदाय बना सकते हैं, जहाँ हर कोई अपने विचार, हर कोई अपनी पहचान के साथ जी सके?
जब मैं सोचता हूँ कि हम सभी 'मछलियों की तरह एक ही पानी में' हैं, तो मन में यही सवाल उठता है कि क्या हम इस पानी को साफ़ कर सकते हैं, जिससे हर कोई तैर सके? या फिर यह पानी हमेशा गंदा ही रहेगा, जहाँ हम अपने-अपने कोने में अकेले, चुपचाप तैरते रहेंगे?
हर दिन की तरह, मैं फिर से अपने विचारों में खो जाता हूँ। क्या हमें एक ऐसे पवेलियन की ज़रूरत है जो हमें एक साथ लाए? या क्या यह सिर्फ़ एक और वादा है जो कभी पूरा नहीं होगा? यह सोचता हूँ तो दिल में एक खालीपन की लहर उठती है, जैसे कि कोई मेरा हाथ थामने वाला नहीं है।
संभवतः, हम सभी एक दूसरे के लिए एक शर्मीली मछली की तरह हैं, जो एक-दूसरे को देखने का साहस नहीं कर पाती। लेकिन क्या हम कभी एकजुट हो पाएंगे? क्या हम कभी उस अकेलेपन को पार कर सकेंगे? इस सवाल का जवाब शायद हमें अपने भीतर ही खोजना होगा।
#अकेलापन #सामुदायिकता #स्थिरता #समानता #जेंडर
अभी हाल ही में मैंने 'एक पवेलियन जो जेंडर, स्थिरता और समुदाय के बारे में बात करता है' के विषय में पढ़ा। यह सुनकर दिल को एक अजीब सी आशा हुई कि कहीं तो ऐसा स्थान है, जहाँ हम सभी एक साथ आ सकते हैं। लेकिन फिर सोचता हूँ कि क्या वाकई ऐसा संभव है? क्या हम सच में एक साथ, एक ही जल में तैर सकते हैं, जब हर कोई अपने-अपने गहरे अकेलेपन से जूझ रहा है?
इस पवेलियन का विचार एक सार्वजनिक स्नान के रूप में आया, जो असल में एक समानता और समावेशी डिजाइन का प्रतीक है। लेकिन क्या यह एक सपना नहीं है? क्या हम सच में इस दुनिया में एक समुदाय बना सकते हैं, जहाँ हर कोई अपने विचार, हर कोई अपनी पहचान के साथ जी सके?
जब मैं सोचता हूँ कि हम सभी 'मछलियों की तरह एक ही पानी में' हैं, तो मन में यही सवाल उठता है कि क्या हम इस पानी को साफ़ कर सकते हैं, जिससे हर कोई तैर सके? या फिर यह पानी हमेशा गंदा ही रहेगा, जहाँ हम अपने-अपने कोने में अकेले, चुपचाप तैरते रहेंगे?
हर दिन की तरह, मैं फिर से अपने विचारों में खो जाता हूँ। क्या हमें एक ऐसे पवेलियन की ज़रूरत है जो हमें एक साथ लाए? या क्या यह सिर्फ़ एक और वादा है जो कभी पूरा नहीं होगा? यह सोचता हूँ तो दिल में एक खालीपन की लहर उठती है, जैसे कि कोई मेरा हाथ थामने वाला नहीं है।
संभवतः, हम सभी एक दूसरे के लिए एक शर्मीली मछली की तरह हैं, जो एक-दूसरे को देखने का साहस नहीं कर पाती। लेकिन क्या हम कभी एकजुट हो पाएंगे? क्या हम कभी उस अकेलेपन को पार कर सकेंगे? इस सवाल का जवाब शायद हमें अपने भीतर ही खोजना होगा।
#अकेलापन #सामुदायिकता #स्थिरता #समानता #जेंडर
हर रोज़, जब मैं अपने चारों ओर देखता हूँ, तो मुझे एक गहरी अकेलापन की भावना सता रही है। जैसे कि मैं एक विशाल जल में तैर रहा हूँ, लेकिन मुझे कोई साथी नहीं दिखता। 😔 यह अकेलापन मुझे एक ऐसे गहरे गड्ढे में धकेल रहा है, जहाँ सिर्फ़ खामोशी और उदासी का साम्राज्य है।
अभी हाल ही में मैंने 'एक पवेलियन जो जेंडर, स्थिरता और समुदाय के बारे में बात करता है' के विषय में पढ़ा। यह सुनकर दिल को एक अजीब सी आशा हुई कि कहीं तो ऐसा स्थान है, जहाँ हम सभी एक साथ आ सकते हैं। लेकिन फिर सोचता हूँ कि क्या वाकई ऐसा संभव है? क्या हम सच में एक साथ, एक ही जल में तैर सकते हैं, जब हर कोई अपने-अपने गहरे अकेलेपन से जूझ रहा है?
इस पवेलियन का विचार एक सार्वजनिक स्नान के रूप में आया, जो असल में एक समानता और समावेशी डिजाइन का प्रतीक है। लेकिन क्या यह एक सपना नहीं है? क्या हम सच में इस दुनिया में एक समुदाय बना सकते हैं, जहाँ हर कोई अपने विचार, हर कोई अपनी पहचान के साथ जी सके? 🌍💔
जब मैं सोचता हूँ कि हम सभी 'मछलियों की तरह एक ही पानी में' हैं, तो मन में यही सवाल उठता है कि क्या हम इस पानी को साफ़ कर सकते हैं, जिससे हर कोई तैर सके? या फिर यह पानी हमेशा गंदा ही रहेगा, जहाँ हम अपने-अपने कोने में अकेले, चुपचाप तैरते रहेंगे?
हर दिन की तरह, मैं फिर से अपने विचारों में खो जाता हूँ। क्या हमें एक ऐसे पवेलियन की ज़रूरत है जो हमें एक साथ लाए? या क्या यह सिर्फ़ एक और वादा है जो कभी पूरा नहीं होगा? 😢 यह सोचता हूँ तो दिल में एक खालीपन की लहर उठती है, जैसे कि कोई मेरा हाथ थामने वाला नहीं है।
संभवतः, हम सभी एक दूसरे के लिए एक शर्मीली मछली की तरह हैं, जो एक-दूसरे को देखने का साहस नहीं कर पाती। लेकिन क्या हम कभी एकजुट हो पाएंगे? क्या हम कभी उस अकेलेपन को पार कर सकेंगे? इस सवाल का जवाब शायद हमें अपने भीतर ही खोजना होगा।
#अकेलापन #सामुदायिकता #स्थिरता #समानता #जेंडर
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