क्या हमें वास्तव में इस "प्रगति" पर गर्व होना चाहिए? हाल ही में, एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि वैज्ञानिकों ने "पहला पैच" विकसित किया है जो कि 3D बॉयोप्रिंटिंग के माध्यम से दिल के ऊतकों को बनाने में सक्षम है। यह सुनने में बहुत अच्छा लगता है, लेकिन क्या हम सच्चाई को नजरअंदाज कर सकते हैं? क्या यह असल में एक महान खोज है या फिर एक और तकनीकी असफलता का प्रयास?

पहली बात, यह तकनीक अभी भी एक प्रयोगात्मक स्तर पर है। क्या हम सच में यह सोचते हैं कि "इंजीनियरिंग" और "बॉयोप्रिंटिंग" जैसी जटिल प्रक्रियाएं बिना किसी गंभीर जोखिम के काम करेंगी? मैंने इसके बारे में पढ़ा है कि पारंपरिक सेल कल्चर तकनीकें लंबे समय तक जीवित ऊतकों का निर्माण करने में असफल रही हैं। क्या हम इन समस्याओं को नजरअंदाज कर सकते हैं? क्या ये वैज्ञानिक सिर्फ प्रयोगशाला में खेल रहे हैं जबकि लाखों लोग दिल की बीमारियों से पीड़ित हैं?

हमारी स्वास्थ्य प्रणाली में यह घटिया प्रदर्शन चौंकाने वाला है। क्या हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम "नवाचार" कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि हम अभी भी बुनियादी चीजों को हासिल नहीं कर पा रहे हैं? दिल के ऊतकों की मरम्मत करना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन क्या ऐसा कर पाना वैज्ञानिकों के बजाय बेहतर चिकित्सा व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है? अगर हम वास्तविक बदलाव चाहते हैं, तो हमें तकनीकी चमत्कारों की बजाय ठोस और प्रभावी उपचार की दिशा में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

वास्तव में, यह "बायोइंजीनियरिंग" से ज्यादा एक धोखा लगता है। जब तक हमें इन ऊतकों में उचित रक्त वाहिका प्रणाली विकसित करने का सही तरीका नहीं मिलता, तब तक यह सब केवल एक पागलपन है। हमें इसे समझना होगा कि वैज्ञानिक प्रयोगों के नाम पर जो हो रहा है, वह वास्तविकता से बहुत दूर है। इलाज की बजाय, हम केवल एक नई तकनीकी गारंटी के पीछे भाग रहे हैं, जो शायद कभी भी काम नहीं करेगी।

इसलिए, अगर हम सच में अपने दिल की सेहत को सुधारना चाहते हैं, तो हमें इन "उन्नत" तकनीकों के पीछे भागने के बजाय वास्तविक, प्रभावी और सुलभ चिकित्सा की दिशा में सोचना चाहिए। यह समय है कि हम अपने समाज में इस तकनीकी भ्रम को खत्म करें और सच्चे समाधान की तलाश करें।

#दिलकीसेहत #बायोइंजीनियरिंग #3Dप्रिंटिंग #स्वास्थ्यप्रणाली #सभीकेलिएउपचार
क्या हमें वास्तव में इस "प्रगति" पर गर्व होना चाहिए? हाल ही में, एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि वैज्ञानिकों ने "पहला पैच" विकसित किया है जो कि 3D बॉयोप्रिंटिंग के माध्यम से दिल के ऊतकों को बनाने में सक्षम है। यह सुनने में बहुत अच्छा लगता है, लेकिन क्या हम सच्चाई को नजरअंदाज कर सकते हैं? क्या यह असल में एक महान खोज है या फिर एक और तकनीकी असफलता का प्रयास? पहली बात, यह तकनीक अभी भी एक प्रयोगात्मक स्तर पर है। क्या हम सच में यह सोचते हैं कि "इंजीनियरिंग" और "बॉयोप्रिंटिंग" जैसी जटिल प्रक्रियाएं बिना किसी गंभीर जोखिम के काम करेंगी? मैंने इसके बारे में पढ़ा है कि पारंपरिक सेल कल्चर तकनीकें लंबे समय तक जीवित ऊतकों का निर्माण करने में असफल रही हैं। क्या हम इन समस्याओं को नजरअंदाज कर सकते हैं? क्या ये वैज्ञानिक सिर्फ प्रयोगशाला में खेल रहे हैं जबकि लाखों लोग दिल की बीमारियों से पीड़ित हैं? हमारी स्वास्थ्य प्रणाली में यह घटिया प्रदर्शन चौंकाने वाला है। क्या हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम "नवाचार" कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि हम अभी भी बुनियादी चीजों को हासिल नहीं कर पा रहे हैं? दिल के ऊतकों की मरम्मत करना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन क्या ऐसा कर पाना वैज्ञानिकों के बजाय बेहतर चिकित्सा व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है? अगर हम वास्तविक बदलाव चाहते हैं, तो हमें तकनीकी चमत्कारों की बजाय ठोस और प्रभावी उपचार की दिशा में ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वास्तव में, यह "बायोइंजीनियरिंग" से ज्यादा एक धोखा लगता है। जब तक हमें इन ऊतकों में उचित रक्त वाहिका प्रणाली विकसित करने का सही तरीका नहीं मिलता, तब तक यह सब केवल एक पागलपन है। हमें इसे समझना होगा कि वैज्ञानिक प्रयोगों के नाम पर जो हो रहा है, वह वास्तविकता से बहुत दूर है। इलाज की बजाय, हम केवल एक नई तकनीकी गारंटी के पीछे भाग रहे हैं, जो शायद कभी भी काम नहीं करेगी। इसलिए, अगर हम सच में अपने दिल की सेहत को सुधारना चाहते हैं, तो हमें इन "उन्नत" तकनीकों के पीछे भागने के बजाय वास्तविक, प्रभावी और सुलभ चिकित्सा की दिशा में सोचना चाहिए। यह समय है कि हम अपने समाज में इस तकनीकी भ्रम को खत्म करें और सच्चे समाधान की तलाश करें। #दिलकीसेहत #बायोइंजीनियरिंग #3Dप्रिंटिंग #स्वास्थ्यप्रणाली #सभीकेलिएउपचार
Desarrollan el primer parche de tejido cardíaco mediante bioimpresión 3D
La ingeniería de tejidos cardíacos busca reproducir el miocardio para reparar zonas dañadas del corazón. Hasta ahora, las técnicas convencionales de cultivo celular no habían permitido obtener tejidos viables a largo plazo, debido a la falta de vascu
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