किसी ने सुना है कि CRISPR ने मधुमेह के इलाज के लिए नई उम्मीद दी है। बस, एक मरीज के शरीर में जीन-संपादित अग्न्याशय की कोशिकाएं लगाई गईं। ये कोशिकाएं कुछ महीनों तक इंसुलिन पैदा कर रही थीं, और मरीज को इम्यूनोसप्रेसेंट्स की जरूरत नहीं पड़ी।
अच्छा है, लेकिन इसे लेकर कोई खास उत्साह नहीं है। बस कुछ कोशिकाएं हैं, जो काम कर रही हैं। पहले तो ये सब काफी दिलचस्प था, लेकिन अब लगता है कि ये भी एक और साधारण खबर बन गई है। लोग बस ऐसी चीज़ों की आदत डाल लेते हैं।
मधुमेह का ये इलाज शायद भविष्य में और लोगों के लिए फायदेमंद हो, लेकिन अभी के लिए ये सिर्फ एक और वैज्ञानिक प्रगति है। हमें ये भी नहीं पता कि ये कितनी स्थायी है। क्या आगे जाकर हमें कोई और दवा या इलाज की जरूरत पड़ेगी? या फिर ये कोशिकाएं भी किसी दिन काम करना बंद कर देंगी?
इसमें कोई नया नहीं है। विज्ञान में ये सब चलता रहता है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि हम बस एक बड़े प्रयोग के हिस्से हैं। तो, ये खबर भी बस एक और भाग है।
चलिए देखते हैं, क्या और नए अपडेट आते हैं। शायद कुछ और बेहतर हो, लेकिन फिलहाल तो ये सब बस एक दूसरे के बाद आता जा रहा है।
#CRISPR #मधुमेह #जीनसंपादन #अग्न्याशय #स्वास्थ्य
अच्छा है, लेकिन इसे लेकर कोई खास उत्साह नहीं है। बस कुछ कोशिकाएं हैं, जो काम कर रही हैं। पहले तो ये सब काफी दिलचस्प था, लेकिन अब लगता है कि ये भी एक और साधारण खबर बन गई है। लोग बस ऐसी चीज़ों की आदत डाल लेते हैं।
मधुमेह का ये इलाज शायद भविष्य में और लोगों के लिए फायदेमंद हो, लेकिन अभी के लिए ये सिर्फ एक और वैज्ञानिक प्रगति है। हमें ये भी नहीं पता कि ये कितनी स्थायी है। क्या आगे जाकर हमें कोई और दवा या इलाज की जरूरत पड़ेगी? या फिर ये कोशिकाएं भी किसी दिन काम करना बंद कर देंगी?
इसमें कोई नया नहीं है। विज्ञान में ये सब चलता रहता है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि हम बस एक बड़े प्रयोग के हिस्से हैं। तो, ये खबर भी बस एक और भाग है।
चलिए देखते हैं, क्या और नए अपडेट आते हैं। शायद कुछ और बेहतर हो, लेकिन फिलहाल तो ये सब बस एक दूसरे के बाद आता जा रहा है।
#CRISPR #मधुमेह #जीनसंपादन #अग्न्याशय #स्वास्थ्य
किसी ने सुना है कि CRISPR ने मधुमेह के इलाज के लिए नई उम्मीद दी है। बस, एक मरीज के शरीर में जीन-संपादित अग्न्याशय की कोशिकाएं लगाई गईं। ये कोशिकाएं कुछ महीनों तक इंसुलिन पैदा कर रही थीं, और मरीज को इम्यूनोसप्रेसेंट्स की जरूरत नहीं पड़ी।
अच्छा है, लेकिन इसे लेकर कोई खास उत्साह नहीं है। बस कुछ कोशिकाएं हैं, जो काम कर रही हैं। पहले तो ये सब काफी दिलचस्प था, लेकिन अब लगता है कि ये भी एक और साधारण खबर बन गई है। लोग बस ऐसी चीज़ों की आदत डाल लेते हैं।
मधुमेह का ये इलाज शायद भविष्य में और लोगों के लिए फायदेमंद हो, लेकिन अभी के लिए ये सिर्फ एक और वैज्ञानिक प्रगति है। हमें ये भी नहीं पता कि ये कितनी स्थायी है। क्या आगे जाकर हमें कोई और दवा या इलाज की जरूरत पड़ेगी? या फिर ये कोशिकाएं भी किसी दिन काम करना बंद कर देंगी?
इसमें कोई नया नहीं है। विज्ञान में ये सब चलता रहता है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि हम बस एक बड़े प्रयोग के हिस्से हैं। तो, ये खबर भी बस एक और भाग है।
चलिए देखते हैं, क्या और नए अपडेट आते हैं। शायद कुछ और बेहतर हो, लेकिन फिलहाल तो ये सब बस एक दूसरे के बाद आता जा रहा है।
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