2025 का एक हर्ट्ज चैलेंज, वो भी डिजिटल घड़ी के लिए जो एनालॉग टाइमर से बनी हो, सच में थोड़ी अजीब है। अब आप सोचेंगे कि एक घड़ी तो बस समय को गिनती है। लेकिन माइक्रोकंट्रोलर इस काम में थोड़े असमर्थ हैं।
घड़ी बनाना, ऐसा लगता है कि बस टाइम को ट्रैक करना है, लेकिन यह सही नहीं है। माइक्रोकंट्रोलर समय को ठीक से नहीं गिन सकते। तो, क्या करें? बस एक एनालॉग टाइमर लें और उसे डिजिटल में बदलने की कोशिश करें। लेकिन फिर भी, यह काम बहुत दिलचस्प नहीं लगता।
फिर भी, इस चैलेंज में क्या है जो हमें उत्साहित कर सके? शायद कुछ नया सीखने का मौका या सिर्फ एक और प्रोजेक्ट जो कि शायद ही किसी को पसंद आए। अब, अगर आप इसे करने का विचार कर रहे हैं, तो शायद आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। और मेहनत का नाम सुनते ही थकान सी छा जाती है।
इस चैलेंज में जो भी शामिल हो, वो शायद यही सोच रहा होगा कि आखिर ये सब क्यों? क्यों न बस एक साधारण घड़ी ले ली जाए जो बिना किसी झंझट के समय बताए। फिर भी, ये प्रोजेक्ट आपको कुछ तकनीकी ज्ञान दे सकता है। लेकिन क्या यह सब इतना दिलचस्प है? शायद नहीं।
खैर, अगर आप इस विषय पर गहराई से सोचें, तो शायद आपको कुछ बेहतर समझ में आए, लेकिन फिलहाल तो बस यही है। चलो, देखते हैं क्या होता है इस चैलेंज में।
#तकनीकी #घड़ी #चैलेंज #माइक्रोकंट्रोलर #एनालॉग
घड़ी बनाना, ऐसा लगता है कि बस टाइम को ट्रैक करना है, लेकिन यह सही नहीं है। माइक्रोकंट्रोलर समय को ठीक से नहीं गिन सकते। तो, क्या करें? बस एक एनालॉग टाइमर लें और उसे डिजिटल में बदलने की कोशिश करें। लेकिन फिर भी, यह काम बहुत दिलचस्प नहीं लगता।
फिर भी, इस चैलेंज में क्या है जो हमें उत्साहित कर सके? शायद कुछ नया सीखने का मौका या सिर्फ एक और प्रोजेक्ट जो कि शायद ही किसी को पसंद आए। अब, अगर आप इसे करने का विचार कर रहे हैं, तो शायद आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। और मेहनत का नाम सुनते ही थकान सी छा जाती है।
इस चैलेंज में जो भी शामिल हो, वो शायद यही सोच रहा होगा कि आखिर ये सब क्यों? क्यों न बस एक साधारण घड़ी ले ली जाए जो बिना किसी झंझट के समय बताए। फिर भी, ये प्रोजेक्ट आपको कुछ तकनीकी ज्ञान दे सकता है। लेकिन क्या यह सब इतना दिलचस्प है? शायद नहीं।
खैर, अगर आप इस विषय पर गहराई से सोचें, तो शायद आपको कुछ बेहतर समझ में आए, लेकिन फिलहाल तो बस यही है। चलो, देखते हैं क्या होता है इस चैलेंज में।
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2025 का एक हर्ट्ज चैलेंज, वो भी डिजिटल घड़ी के लिए जो एनालॉग टाइमर से बनी हो, सच में थोड़ी अजीब है। अब आप सोचेंगे कि एक घड़ी तो बस समय को गिनती है। लेकिन माइक्रोकंट्रोलर इस काम में थोड़े असमर्थ हैं।
घड़ी बनाना, ऐसा लगता है कि बस टाइम को ट्रैक करना है, लेकिन यह सही नहीं है। माइक्रोकंट्रोलर समय को ठीक से नहीं गिन सकते। तो, क्या करें? बस एक एनालॉग टाइमर लें और उसे डिजिटल में बदलने की कोशिश करें। लेकिन फिर भी, यह काम बहुत दिलचस्प नहीं लगता।
फिर भी, इस चैलेंज में क्या है जो हमें उत्साहित कर सके? शायद कुछ नया सीखने का मौका या सिर्फ एक और प्रोजेक्ट जो कि शायद ही किसी को पसंद आए। अब, अगर आप इसे करने का विचार कर रहे हैं, तो शायद आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। और मेहनत का नाम सुनते ही थकान सी छा जाती है।
इस चैलेंज में जो भी शामिल हो, वो शायद यही सोच रहा होगा कि आखिर ये सब क्यों? क्यों न बस एक साधारण घड़ी ले ली जाए जो बिना किसी झंझट के समय बताए। फिर भी, ये प्रोजेक्ट आपको कुछ तकनीकी ज्ञान दे सकता है। लेकिन क्या यह सब इतना दिलचस्प है? शायद नहीं।
खैर, अगर आप इस विषय पर गहराई से सोचें, तो शायद आपको कुछ बेहतर समझ में आए, लेकिन फिलहाल तो बस यही है। चलो, देखते हैं क्या होता है इस चैलेंज में।
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