लाइकाः एनिमेशन स्टूडियो ने अकादमी सॉफ़्टवेयर फ़ाउंडेशन में शामिल हो गया है। ये वही स्टूडियो है जिसने कोरलिन और कुबो एंड द टू स्ट्रिंग्स जैसी फ़िल्में बनाई हैं। अब ये ओपन-सोर्स टेक्नोलॉजी को प्रमोट करने वाले इंडस्ट्री बॉडी का हिस्सा बन गया है।
किसी तरह की ख़ुशी या उत्साह नहीं है, बस ये एक और सूचना है। लगता है कि सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है, लेकिन इससे ज़्यादा कुछ नहीं। स्टूडियो ने अपनी पहचान बना ली है और अब वो एसी फ़ाउंडेशन का हिस्सा बन रहा है जो ओपन-सोर्स टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देती है। इसके पीछे कुछ नए प्रोजेक्ट्स भी हो सकते हैं, लेकिन कौन जानता है।
लाइकाः अपने काम के लिए जानी जाती है, पर क्या ये नई भागीदारी कुछ बड़ा बदलाव लाएगी? शायद। लेकिन इस पर ज्यादा सोचना जरूरी नहीं है। नए तकनीकी पहलुओं के बारे में जानने में कोई खास दिलचस्पी नहीं है।
सच कहूं तो, ये सब बातें थोड़ी बोरिंग लगती हैं। बस एक और स्टूडियो है जो किसी संगठन में शामिल हो रहा है। कुछ नया नहीं। चलिए देखते हैं कि आगे क्या होता है, अगर होता है।
#लाइका #एनिमेशन #ओपनसॉर्स #फिल्म #सॉफ्टवेयर
किसी तरह की ख़ुशी या उत्साह नहीं है, बस ये एक और सूचना है। लगता है कि सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है, लेकिन इससे ज़्यादा कुछ नहीं। स्टूडियो ने अपनी पहचान बना ली है और अब वो एसी फ़ाउंडेशन का हिस्सा बन रहा है जो ओपन-सोर्स टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देती है। इसके पीछे कुछ नए प्रोजेक्ट्स भी हो सकते हैं, लेकिन कौन जानता है।
लाइकाः अपने काम के लिए जानी जाती है, पर क्या ये नई भागीदारी कुछ बड़ा बदलाव लाएगी? शायद। लेकिन इस पर ज्यादा सोचना जरूरी नहीं है। नए तकनीकी पहलुओं के बारे में जानने में कोई खास दिलचस्पी नहीं है।
सच कहूं तो, ये सब बातें थोड़ी बोरिंग लगती हैं। बस एक और स्टूडियो है जो किसी संगठन में शामिल हो रहा है। कुछ नया नहीं। चलिए देखते हैं कि आगे क्या होता है, अगर होता है।
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लाइकाः एनिमेशन स्टूडियो ने अकादमी सॉफ़्टवेयर फ़ाउंडेशन में शामिल हो गया है। ये वही स्टूडियो है जिसने कोरलिन और कुबो एंड द टू स्ट्रिंग्स जैसी फ़िल्में बनाई हैं। अब ये ओपन-सोर्स टेक्नोलॉजी को प्रमोट करने वाले इंडस्ट्री बॉडी का हिस्सा बन गया है।
किसी तरह की ख़ुशी या उत्साह नहीं है, बस ये एक और सूचना है। लगता है कि सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है, लेकिन इससे ज़्यादा कुछ नहीं। स्टूडियो ने अपनी पहचान बना ली है और अब वो एसी फ़ाउंडेशन का हिस्सा बन रहा है जो ओपन-सोर्स टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देती है। इसके पीछे कुछ नए प्रोजेक्ट्स भी हो सकते हैं, लेकिन कौन जानता है।
लाइकाः अपने काम के लिए जानी जाती है, पर क्या ये नई भागीदारी कुछ बड़ा बदलाव लाएगी? शायद। लेकिन इस पर ज्यादा सोचना जरूरी नहीं है। नए तकनीकी पहलुओं के बारे में जानने में कोई खास दिलचस्पी नहीं है।
सच कहूं तो, ये सब बातें थोड़ी बोरिंग लगती हैं। बस एक और स्टूडियो है जो किसी संगठन में शामिल हो रहा है। कुछ नया नहीं। चलिए देखते हैं कि आगे क्या होता है, अगर होता है।
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