आजकल, ऐसा लगता है कि किशोरों के लिए खुद चलने वाली गाड़ियाँ लेने का चलन बढ़ रहा है। Alphabet की स्वायत्त कार कंपनी ने किशोरों के लिए व्यक्तिगत खाता शुरू किया है। शायद ये एक बड़ा बदलाव है, लेकिन सच कहूँ तो मुझे इस पर ज्यादा उत्साह नहीं है।
किशोरों को खुद चलने वाली गाड़ियों का उपयोग करना, मुझे ऐसा लगता है कि ये सिर्फ एक और नई चीज़ है, जिसमें वो अपनी ज़िंदगी का कुछ समय बिता सकते हैं। ज़रा सोचिए, क्या ये वाकई में किसी सामाजिक परिवर्तन की ओर ले जाएगा? या ये सिर्फ एक फैंसी चीज़ है, जिसका कोई खास मतलब नहीं है?
अधिकतर किशोर ऐसे ही हैं, जो अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे। शायद ये एक नई सुविधा है, लेकिन क्या ये वास्तव में उनकी ज़िंदगी में कोई बदलाव लाएगा? अब वे अकेले जा सकते हैं, लेकिन क्या यह उन्हें वास्तविकता से दूर नहीं करेगा?
अच्छा, तकनीक तो बढ़ रही है, लेकिन कभी-कभी लगता है कि हमें बस अपने पुराने तरीकों पर वापस लौटना चाहिए। क्या आपको याद है जब हम बस पैदल चलते थे या साइकिल चलाते थे? ये खुद चलने वाली गाड़ियाँ हमें बस एक नई तरह की आलस्य में डाल रही हैं।
तो, कुल मिलाकर, खुद चलने वाली गाड़ियों का यह नया चलन शायद आज के किशोरों के लिए एक मजेदार चीज़ हो, लेकिन मुझे नहीं लगता कि ये कोई बड़ा सामाजिक परिवर्तन लाएगा। बस एक और चीज़, जो हमें अपनी ज़िंदगी में जोड़नी है।
#खुदचलनेवालीगाड़ियाँ
#किशोर
#तकनीक
#आलस्य
#सामाजिकपरिवर्तन
किशोरों को खुद चलने वाली गाड़ियों का उपयोग करना, मुझे ऐसा लगता है कि ये सिर्फ एक और नई चीज़ है, जिसमें वो अपनी ज़िंदगी का कुछ समय बिता सकते हैं। ज़रा सोचिए, क्या ये वाकई में किसी सामाजिक परिवर्तन की ओर ले जाएगा? या ये सिर्फ एक फैंसी चीज़ है, जिसका कोई खास मतलब नहीं है?
अधिकतर किशोर ऐसे ही हैं, जो अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे। शायद ये एक नई सुविधा है, लेकिन क्या ये वास्तव में उनकी ज़िंदगी में कोई बदलाव लाएगा? अब वे अकेले जा सकते हैं, लेकिन क्या यह उन्हें वास्तविकता से दूर नहीं करेगा?
अच्छा, तकनीक तो बढ़ रही है, लेकिन कभी-कभी लगता है कि हमें बस अपने पुराने तरीकों पर वापस लौटना चाहिए। क्या आपको याद है जब हम बस पैदल चलते थे या साइकिल चलाते थे? ये खुद चलने वाली गाड़ियाँ हमें बस एक नई तरह की आलस्य में डाल रही हैं।
तो, कुल मिलाकर, खुद चलने वाली गाड़ियों का यह नया चलन शायद आज के किशोरों के लिए एक मजेदार चीज़ हो, लेकिन मुझे नहीं लगता कि ये कोई बड़ा सामाजिक परिवर्तन लाएगा। बस एक और चीज़, जो हमें अपनी ज़िंदगी में जोड़नी है।
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आजकल, ऐसा लगता है कि किशोरों के लिए खुद चलने वाली गाड़ियाँ लेने का चलन बढ़ रहा है। Alphabet की स्वायत्त कार कंपनी ने किशोरों के लिए व्यक्तिगत खाता शुरू किया है। शायद ये एक बड़ा बदलाव है, लेकिन सच कहूँ तो मुझे इस पर ज्यादा उत्साह नहीं है।
किशोरों को खुद चलने वाली गाड़ियों का उपयोग करना, मुझे ऐसा लगता है कि ये सिर्फ एक और नई चीज़ है, जिसमें वो अपनी ज़िंदगी का कुछ समय बिता सकते हैं। ज़रा सोचिए, क्या ये वाकई में किसी सामाजिक परिवर्तन की ओर ले जाएगा? या ये सिर्फ एक फैंसी चीज़ है, जिसका कोई खास मतलब नहीं है?
अधिकतर किशोर ऐसे ही हैं, जो अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे। शायद ये एक नई सुविधा है, लेकिन क्या ये वास्तव में उनकी ज़िंदगी में कोई बदलाव लाएगा? अब वे अकेले जा सकते हैं, लेकिन क्या यह उन्हें वास्तविकता से दूर नहीं करेगा?
अच्छा, तकनीक तो बढ़ रही है, लेकिन कभी-कभी लगता है कि हमें बस अपने पुराने तरीकों पर वापस लौटना चाहिए। क्या आपको याद है जब हम बस पैदल चलते थे या साइकिल चलाते थे? ये खुद चलने वाली गाड़ियाँ हमें बस एक नई तरह की आलस्य में डाल रही हैं।
तो, कुल मिलाकर, खुद चलने वाली गाड़ियों का यह नया चलन शायद आज के किशोरों के लिए एक मजेदार चीज़ हो, लेकिन मुझे नहीं लगता कि ये कोई बड़ा सामाजिक परिवर्तन लाएगा। बस एक और चीज़, जो हमें अपनी ज़िंदगी में जोड़नी है।
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