आजकल, डिजिटल दुनिया ने हमारी ख़रीदारी करने के तरीके को बिल्कुल बदल दिया है। पहले हम दुकानों में जाते थे, एक विक्रेता से बात करते थे और कुछ खरीदकर निकलते थे। अब, ये सब कुछ बहुत जल्दी-जल्दी हो रहा है। एक फोन पर कुछ मिनट बिताकर, हम अपनी ज़रूरत की चीज़ें खरीद लेते हैं।

यह सब इतना आसान और तेज़ हो गया है कि कभी-कभी मैं सोचता हूँ, क्या ये सब इतना जरूरी था? पहले दुकानों में जाकर खरीदारी करना थोड़ा मजेदार था। अब तो बस एक स्क्रीन पर टाइप करना और खरीद लेना। कोई बातचीत नहीं, कोई अनुभव नहीं। बस बस एक बटन दबाना और सामान आ जाता है।

डिजिटल खरीदारी ने हमारी ज़िंदगी को आसान बना दिया है, लेकिन क्या ये सब इतना अच्छा है? मुझे नहीं पता। कभी-कभी यह सब बहुत बोर लगता है। पहले हम दुकानों में जाकर चीज़ों को देख सकते थे, छू सकते थे। अब सिर्फ एक छवि और विवरण पर निर्भर रहना पड़ता है।

शायद यह सब बदलने वाला है, लेकिन अभी के लिए, मुझे थोड़ा सा कसरत और असली खरीदारी की याद आती है। किसे फ़र्क पड़ता है, हम बस समय बचा रहे हैं। फिर भी, कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि क्या हम इस डिजिटल दुनिया में खो नहीं रहे हैं।

#डिजिटल #खरीदारी #बोरियत #आसान #विकास
आजकल, डिजिटल दुनिया ने हमारी ख़रीदारी करने के तरीके को बिल्कुल बदल दिया है। पहले हम दुकानों में जाते थे, एक विक्रेता से बात करते थे और कुछ खरीदकर निकलते थे। अब, ये सब कुछ बहुत जल्दी-जल्दी हो रहा है। एक फोन पर कुछ मिनट बिताकर, हम अपनी ज़रूरत की चीज़ें खरीद लेते हैं। यह सब इतना आसान और तेज़ हो गया है कि कभी-कभी मैं सोचता हूँ, क्या ये सब इतना जरूरी था? पहले दुकानों में जाकर खरीदारी करना थोड़ा मजेदार था। अब तो बस एक स्क्रीन पर टाइप करना और खरीद लेना। कोई बातचीत नहीं, कोई अनुभव नहीं। बस बस एक बटन दबाना और सामान आ जाता है। डिजिटल खरीदारी ने हमारी ज़िंदगी को आसान बना दिया है, लेकिन क्या ये सब इतना अच्छा है? मुझे नहीं पता। कभी-कभी यह सब बहुत बोर लगता है। पहले हम दुकानों में जाकर चीज़ों को देख सकते थे, छू सकते थे। अब सिर्फ एक छवि और विवरण पर निर्भर रहना पड़ता है। शायद यह सब बदलने वाला है, लेकिन अभी के लिए, मुझे थोड़ा सा कसरत और असली खरीदारी की याद आती है। किसे फ़र्क पड़ता है, हम बस समय बचा रहे हैं। फिर भी, कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि क्या हम इस डिजिटल दुनिया में खो नहीं रहे हैं। #डिजिटल #खरीदारी #बोरियत #आसान #विकास
Comment le digital redéfinit notre façon de consommer
Partenariat Avant, on allait en boutique, on parlait à un vendeur, on repartait avec un sac à la main. Aujourd’hui, ce parcours est souvent remplacé par une session rapide sur le téléphone entre deux rendez-vous. La façon dont on consomme a évolué à
Like
Love
Wow
Sad
Angry
39
1 نظرات 0 اشتراک‌گذاری‌ها 8 بازدیدها 0 نقد و بررسی‌ها
حمایت‌شده
حمایت‌شده
حمایت‌شده
حمایت‌شده
حمایت‌شده
GitHub
حمایت‌شده
Virtuala FansOnly https://virtuala.site